Study Abroad: सपनों की उड़ान या फिर खर्चों का तूफ़ान ?

Study Abroad
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Study Abroad, हर साल, हजारों भारतीय विद्यार्थी उच्च शिक्षा के लिए विदेशों में निकलते हैं। अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा केवल एक औपचारिकता से नहीं है, और ना ही यह केवल डिग्री हासिल करना है। जब कोई छात्र विदेश के किसी नए देश में जाता है, तो वह वहाँ की भाषा, संस्कृति और लोगों को भी समझने की कोशिश करता है। छात्रों के बोलने का तरीका, खानपान और मौसम किसी और देश में जाने से बिल्कुल अलग हो जाता हैं। शुरुआत में थोड़ी परेशानी तो होती है, लेकिन समय के साथ छात्रों को वहाँ की जिंदगी जी पाना बहुत आसान लगने लगता है। खुद की मेहनत से सक्षम होने का कार्य करना, अकेले निर्णय लेना जो की, आत्मनिर्भर बनने में बहुत सहायक होती है। छात्रों के लिए इंटरनेशनल क्लासरूम में पढ़ाई करना, अलग-अलग देशों के लोगों से बातचीत करना और अलग-अलग संस्कृतियो को देखना उनसे सीखना आकर्षण का विषय बनता है। आपको सोचने और नीति बदलने का भी मौका दिया जाता है। एक छात्रों को केवल पढ़ाई में ही सहायता नहीं मिलती, बल्कि आर्थिक स्थिति में मे भी सहायता मिलती है जैसे ट्यूशन फ़ीस में छूट, छात्रों को स्कॉलरशिप आदि।

हम सभी के मन में एक ही सवाल होता है, कितना खर्च होगा Study Abroad में ?

जब कोई छात्र विदेशी विश्वविद्यालयों में जाकर अपनी पढ़ाई करने के बारे में सोचता है, तो सबसे पहले उनके लिए यह सवाल खड़ा होता है कि इसके खर्चे क्या होंगे, खासकर अमेरिका, यूके, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में। यूके और ऑस्ट्रेलिया में ट्यूशन फीस 15 लाख से 40 लाख रुपये तक हो सकती हैं। लेकिन इन सबसे अलग विद्यार्थी के हॉस्टल, खाना-पीना, ट्रांसपोर्ट, इंश्योरेंस, शहर में घूमने, और अन्य छोटी-छोटी जरूरतें भी शामिल होती है। एक साधारण छात्र हर साल 8 से 15 लाख रुपए खर्च करता है। कई परिवार बहुत दिक्कतों से रोजी-रोटी कमा रहे हैं, जिसके चलते कभी कभी ये खर्च परिवार की आर्थिक स्थिती से काफी परे होता हैं, इसलिए छात्रों को स्कालरशिप या एजुकेशनल लोन का सहारा लेना पड़ता है। लेकिन जर्मनी या नॉर्वे ऐसे देश हैं, जहाँ ट्यूशन फीस बहुत कम या बिल्कुल नहीं होती। अगर आप सही योजना बनाएं और अच्छे से रिसर्च करें, तो Study Abroad करना आसान व किफायती हो सकता है।

ट्यूशन फ्री देश और स्कॉलरशिप की सुविधाएं

कुछ देश ऐसे हैं, जो इंटरनेशनल छात्रों से ट्यूशन फीस नहीं लेते या बहुत कम फीस लेते हैं। जैसे जर्मनी में पब्लिक यूनिवर्सिटी में पढ़ाई लगभग मुफ्त होती है। वहाँ सिर्फ एक छोटा-सा सेमेस्टर फीस लिया जाता है जो ₹20,000 से ₹50,000 तक हो सकता है। नॉर्वे में भी पढ़ाई पर ट्यूशन फीस नहीं लगती, लेकिन वहाँ रहने का खर्च ज्यादा होता है। इसके अलावा फ्रांस और फिनलैंड जैसे देशों में भी कम फीस और छात्रों को सरकारी स्कॉलरशिप मिलती है। बहुत सी यूनिवर्सिटियाँ मेधावी छात्रों को जो पढ़ाई मे अच्छे होते है, उन्हे 50% से लेकर 100% तक की स्कॉलरशिप देती हैं। भारत सरकार भी Study Abroad करने वाले छात्रों के लिए स्कॉलरशिप स्कीम चलाती है, जैसे नेशनल ओवरसीज स्कॉलरशिप, जो एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक छात्रों के लिए है। इसके अलावा विदेशी सरकारें भी कई प्रकार की स्कॉलरशिप देती हैं, जैसे अमेरिका की Fulbright Scholarship, यूके की Chevening Scholarship, और जर्मनी की DAAD Scholarship।

क्या क्या सुविधाएं विदेश में छात्रों को मिलती हैं ?

जब कोई छात्र Study Abroad करने जाता है, तो उसे केवल पढ़ाई की ही नहीं, बल्कि रोजमर्रा की सुविधाओं की भी जरूरत होती है। ज्यादातर देशों में इंटरनेशनल छात्रों को स्टूडेंट कार्ड मिलता है, जिससे उन्हें ट्रांसपोर्ट, म्यूज़ियम, मूवी टिकट, रेस्टोरेंट आदि में छूट मिलती है। इसके अलावा, अधिकतर देशों में स्टूडेंट्स को पार्ट टाइम जॉब करने की भी अनुमति होती है। जैसे अमेरिका में स्टूडेंट्स हफ्ते में 20 घंटे तक ऑन-कैंपस काम कर सकते हैं। कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूके में ऑन और ऑफ-कैंपस दोनों जगह काम करने की सुविधा मिलती है। इससे छात्र अपना जेब खर्च निकाल सकते हैं और अनुभव भी ले सकते हैं। वहीं, विदेश में पढ़ते समय मेडिकल खर्च बहुत महंगा होता है, इसलिए सभी छात्रों को हेल्थ इंश्योरेंस लेना जरूरी होता है। यूनिवर्सिटियाँ स्टूडेंट हेल्पलाइन, करियर काउंसलिंग और मानसिक स्वास्थ्य सहायता जैसी सुविधाएँ भी देती हैं, जिससे छात्र मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सके।

Study Abroad के लिए जरूरी तैयारी और सावधानियाँ

Study Abroad करने से पहले छात्रों को कुछ जरूरी तैयारियाँ करनी चाहिए। जैसे सबसे पहले तो उन्हें उस देश की यूनिवर्सिटि, कोर्स और फीस स्ट्रक्चर की जानकारी लेनी चाहिए। फिर उन्हें IELTS या TOEFL जैसे इंग्लिश भाषा टेस्ट की तैयारी करनी चाहिए, जो वहाँ एडमिशन और वीजा के लिए बहुत जरूरी होता है। SOP (Statement of Purpose), LOR (Letter of Recommendation) जैसे डॉक्यूमेंट्स भी पहले से तैयार रखने पड़ते है। इसके अलावा, वीजा प्रोसेस भी समय से शुरू करना होता है ताकि देरी न हो, और सबसे जरूरी पैसों का बजट बनाना ट्यूशन फीस, रहने का खर्च, टिकट, बीमा सबका अंदाजा पहले से लगाना चाहिए फिर अपनी जेब के अनुसार आगे की सोचनी चाहिए। फर्जी एजेंट व स्कैम से बचना बहुत जरूरी है, इसलिए हर जानकारी खुद से वेबसाइट पर जाकर चेक करें। सही समय पर अप्लाई करें और सभी डॉक्यूमेंट्स को सही तरीके से जमा करें। इन सारी चीजों अगर ध्यान ओर सही तरीके से कर लेते है, तो विदेश में पढ़ाई का सपना आसानी से पूरा हो सकता है।

Study Abroad हर छात्र के लिए एक सुनहरा अवसर हो सकता है, विदेश में पढ़ाई करना एक बड़ा और महत्वपूर्ण फैसला होता है, लेकिन अगर सही दिशा और जानकारी के साथ किया जाए, तो यह फैसला आपके जीवन को नई ऊँचाइयों पर ले जा सकता है। वहाँ सिर्फ पढ़ाई नहीं होती, बल्कि आप एक नया जीवन जीते हैं, नया सोचते हैं और दुनिया को समझते हैं। स्कॉलरशिप, ट्यूशन-फ्री यूनिवर्सिटी, पार्ट टाइम जॉब जैसी सुविधाएं विदेश में पढ़ाई को और सुलभ बनाती हैं। अगर आप मेहनती हैं, और कुछ बड़ा करना चाहते हैं और अपने सपनों के पंख को उड़ान देना चाहते हैं, तो विदेश में पढ़ाई आपके लिए एक बहुत सुनहरा अवसर है। जरूरी है कि आप रिसर्च करें, सही जानकारी लें।

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